हम कांटो से घिरे गुलाब है | Hum kanto se ghire Gulab hai | Saayari.
My thinking & my words (मेरी सोच और मेरी बातें)
कभी न कहो कि दिन अपने खराब है ।।
समझ लो कि हम कांटों से गिरे गुलाब है,
रखो हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चलकर खुद समंदर भी आएगा,
थककर ना बैठो ऐ मंज़िल के मुसाफ़िर मंजिल भी मिलेगी
और जीने का मजा भी आयेगा ।।
कभी न कहो कि दिन अपने खराब है ।।
समझ लो कि हम कांटों से गिरे गुलाब है,
रखो हौसला वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चलकर खुद समंदर भी आएगा,
थककर ना बैठो ऐ मंज़िल के मुसाफ़िर मंजिल भी मिलेगी
और जीने का मजा भी आयेगा ।।
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Presenting by SR Enter10 Created by Sandeep Rajbhar |
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