तेरी मासूमियत | Teri Mashumiyat by SR Enter10.
उफ ए चांद सा मुखड़ा,झुकी पलके,
मासूम दिल और यूं शरमा के छिप जाने की अदा ।।
झुकी नजरों जब ऐसे देखती हो तो मैं क्या !
खुद कुदरत भी हो जाए फिदा।
बेकरार है मेरा दिल , तेरी मासूमियत पर लिखने को कुछ गीत सदा ।।
लिख दूं मैं गीत तेरी मासूमियत पर,
लेकिन डर है हर कोई तेरा तलबगार न हो जाए ।
"लेखक"
संदीप राजभर
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